Harshad Mehta

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फिल्में बना चुके मशहूर निर्देशक हंसल मेहता की एक वेब सीरीज इन दिनो चर्चा मे है नाम है स्कैम 1992 यह कहानी है Harshad Mehta की वही हर्षद मेहता जिनको एक ज़माने मे स्टॉक मार्केट के अमिताभ बच्चन कहा जाता था वही हर्षद मेहता जिसके पास लग्जरी गाड़ियों का पूरा काफिला था वही हर्षद मेहता जिसे प्रधानमंत्री पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया था हर्षद मेहता की कहानी उस गुजराती लड़के की कहानी है जिसकी जेब तो खाली थी लेकिन आंखे सपनो से भरी थी सपना था दौलत की ऊंचाई को छूने का आपको सुनाते है कहानी हर्षद मेहता की जो था स्टॉक मार्केट का बिग बुल।

Interduce L.P.G First Time

Harshad Mehta के लिए 90 का दशक बड़े बदलावो के साथ शुरू हुआ था 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह और प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव ने एक बहुत बड़ा फैसला लिया था यह फैसला था नई आर्थिक नीति लागू करने का दुनिया के लिए दरवाजा खोल देने का निजीकरण और विदेशी निवेश को बढ़ावा देना उस समय L .P .G की शुरुवात की गई थी इस से देश मे लिबरलाइजेशन , प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन को बड़ावा मिला था। घोटाला कितना बड़ा था इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके बाद शेयर बाज़ार को रेगुलेट करने के लिए संस्था बनाई गई थी अब बात करते है। शांतिलाल मेहता की 1954 का जन्म गुजरात के राजकोट में हुआ था

उनका कुछ वक्त छत्तीसगढ़ के रायपुर मे रहे। फिर सपनो के शहर मुंबई आ गए मुंबई मे एक बीमा कंपनी में नौकरी कर ली लेकिन हर्षद इस नौकरी के लिए नही बने थे उनकी किस्मत मे तो कुछ और लिखा था शहर के धंधे में एक ब्रोकरेज फर्म में उसकी नौकरी लग गई इस फॉर्म के कर्ता-धर्ता जीवन दास को गुरु मान लिया और स्टॉक स्टॉक मार्केट के हर पैंतरे को बारीकी से सिकने लगा 1984 में उसने खुद की कंपनी शुरू की और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की मेंबरशिप ले ली। 80 का दशक खत्म हो रहा था लेकिन हर्षित का जलवा बढ़ता जा रहा था नब्बे का दशक आते-आते हर अखबार और मैगजीन उसकी तस्वीर छपा करती थी और बड़े-बड़े लोग उसके साथ मीटिंग के लिए तरसते थे कहते है कि जब ऊपर वाला देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है हर्षद के साथ भी ऐसा ही हो रहा था नए लोग उसके जैसा बनना चाहते थे पुराने लोग उसका नाम इज्जत के साथ लेते थे और सब यही जानना चाहते थे कि हर्षद मेहता का राज क्या है हर शेपर की वैल्यू स्टॉक मार्केट में कोहिनूर से भी ज्यादा थी

ACC Goes To Highest Peak

Harshad Mehta का राज समझने के लिए समझना होगा उसके काम करने के तरीके को। एसीसी के शेयर में जो उसने दिलचस्पी ली तो वह ₹200 का था लेकिन थोड़े ही वक्त में इसी शहर की कीमत 9000 पर पहुंच गई मतलब 4400 % का रिर्टन्स। सोचिए यह कौन सा रास्ता था जिसके खुलने पर देश का बैंकिंग सिस्टम हील गया था वैसा क्या करता था कि शेयर बाजार के होश उड़ गए थे और वह शख्स कौन था जिसने यह खुलासा किया टाइम्स ऑफ इंडिया की पत्रकार सुचेता दलाल ने हर्षद का भांडा फोड़ा था। सुचेता बहुत वक्त से स्टोरी की तलाश मे थी लेकिन उनको कामयाबी मिली 1992 में उन्हें पता चला कि महता बैक से 15 दिनो के लिए लोन लेता है और अगले 15 दिन में इस पैसे को वापस कर देता है उसकी बैंकिंग सिस्टम में अच्छी जान पहचान थी उसे शेयर बाजार में पैसा लगाने के लिए रुपयों की कभी कमी नही पड़ी उसने दोनो हाथो से पैसे को बाजार में लगाया और करोड़ो का मुनाफा कमाया बहुत लोगो की आंखो में चुभने भी लगा था

Mehta Bad Time Come 

वो कहते है कि बुरा वक्त बताकर नही आता ऐसे ही कुछ Harshad Mehta के साथ हुआ शायद उसे इसकी कोई उम्मीद नहीं थी और न ही बुरे वक्त की तैयारी की थी। शेयर बाजार लगातार ऊंचाई छू रहा था और साथ ही हर्षद मेहता का जलवा भी भरता जा रहा था यह वह वक्त था जब देश की अर्थव्यवस्था बदलाव के दौर से गुजर रही थी निजीकरण और विदेशी निवेश बढ़ रहा था देश बदलाव की राह पर कदम बढ़ा चुका था तक बाजार बढ़ता जा रहा था मेहता का जलवा भी बढ़ता रहा लेकिन एक शाम जब शेयर बाजार धड़ाम से गिरा तो मेहता बैंको का पैसा लौटा नही पाया और तब जाकर खुला यह हर्षद मेहता कांड इस मामले के बाद न्यूयार्क टाइम्स में एक लेख छपा था जिसमें बिजनेस टुडे के लेखक देबाशीष बसु ने कहा था समस्या मेहता नहीं है यह भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास का वक्त अच्छा नही है दलाल स्ट्रीट से लेकर संसद तक में इस घोटाले की चर्चा होने लगी थी बात बढ़ी तो मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति बनाई गई।

ED हर्षद मेहता के साथ उसके दोनो भाइयो को भी गिरफ्तार कर लिया और इन पर 72 आपराधिक मामले और 600 से ज़्यादा मामले हर्षद के खिलाफ दर्ज हो चुके थे इसके बाद वह हुआ जो देश के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ था मेहता ने एक प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि उसने पीएम नरसिम्हाराव को एक करोड़ की रिश्वत दी थी कांग्रेस और राहुल ने आरोपों को नकार दिया इसका कोई सबूत कभी मिला नही लेकिन इस मामले ने नरसिम्हाराव की बहुत किरकिरी की क्योंकि इसी दौरान उन पर अपनी सरकार बचाने के लिए सांसदो को रिश्वत देने के भी आरोप लगे थे

जमानत मिलने के बाद मेहता ने फिर से अपना धंधा शुरू कर लिया था एक के बाद एक केस में उसे जमानत मिल रही थी ऐसा लगने लगा था कि दिन फिर से बदल जाएंगे लेकिन 2001 में उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज दिया गया 31 दिसम्बर 2001 को उसकी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक 1992 का यह घोटाला 4025 करोड़ का था इसमें सबसे बड़ा मामला एसबीआई के साथ किए गए छह सौ करोड़ के फ्रॉड का था कहते है कि जब वह कोर्ट में पेशी पर जाया करता था तब भीड़ उसके पक्ष में नारे बाजी करने के लिए जमा हो जाती थी

Sucheta Dalal Get Award

इस मामले का खुलासा करने वाली पत्रकार सुचेता को 2006 में पदम श्री अवार्ड से  नवाजा गया Harshad Mehta के साथ दिक्कत यह थी कि उसने कभी अपना फॉर्मूला नही बदला वह इस बात को भांपने में नाकाम रहा कि उसका पुराना जादू अब इनवेस्टर्स पसंद नही कर रहा है वह हमेशा दिखावे की दुनिया मे जीता था एसबीआई अकाउंट सामने आने के बाद उसने मुंबई चिड़ियाघर में भालू को मूंगफली खिलाते हुए फोटोशूट कराया था इसके जरिए वह यह दिखाना चाहता था कि शेयर मार्केट हमेशा उसके इशारो पर ही चलेगा लेकिन वक्त सबसे बड़ा होता है और बीते वक्त का एक बड़ा सच बदलाव है

उससे भी बड़ा सच है मौत हर्षद मेहता के साथ दोनो हुआ उन्होंने नकली बीआर (Bank Receipt) जारी करना शुरू कर दिया। जो अंडरलाइन सिक्योरिटी नही थी उसकी उन्होंने बैंक रसीद बना ली और यह कहकर जारी कर दी कि हमारे पास सिक्योरिटीज है। हम तुम्हें देंगे और इन्हीं कारणो से बैंक का पैसा अवैध तरीके से शेयर बाज़ार मे चला गया। और शेयर बाज़ार में कीमतें बढ़ने लगी एक साल में सेंसेक्स 4 गुना हो गया। और इस तरह 1992 का घोटाला हो गया शेयर बाज़ार तेजी से बढ़ने लगा लेकिन अप्रैल 1992 में यह घोटाला सबके सामने आ गया इस घोटाले को सबके सामने लाने में सुचेता दलाल ने अहम भूमिका निभाई और एक बार जब ये घोटाला सामने आया तो पूरा भारत हिल गया। हर कोई इसी विषय पर बात कर रहा था संसद , खबरो पर हर जगह यही चर्चा का विषय था और इस घोटाले की जांच कई अलग-अलग एजेंसियों ने की आरबीआई , सीबीआई , ईडी ने भी की। आयकर विभाग की कई एजेंसियों ने इस घोटाले की जांच की इस घोटाले मे देश के प्रधानमंत्री P .V नरसिमा भी शामिल थे। उन्हे हर्षद महेता ने 1 करोड रूपए की रिश्वत दी थी यह कहानी आपको कैसी लगी आप हमे निचे Comment Box 🎁 में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।


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